सौंपो तो जरा जिम्मेदारी
जागरूक मैं युवा आज का हूं, मैं आगे बढ़ना जानता हूं,
सपनों को केवल देखूं नहीं, पूरा करना भी जानता हूं.
संघर्ष भले हों जीवन में, हों राहें भी आसान नहीं,
टेढ़ी-मेढ़ी-पथरीली-विकट, उनसे टकराना जानता हूं.
हूं कर्णधार निज देश का मैं, हर फर्ज निभाना जानता हूं,
संस्कार मिले मां-बहिनों की, अस्मत का मैं रखवाला हूं.
मुझमें इतना बल-साहस है, मैं आज को स्वर्णिम कर सकता,
सक्षम हूं राज बदल सकता, उन्नत समाज को कर सकता.
मुझमें विवेक है आनंद है, सद्ज्ञान का भी आगार हूं मैं,
मुझमें है सुर-लय-ताल-छंद, कल की प्रतिमा साकार हूं मैं.
महिमामंडित हो देश मेरा, गरिमा इसकी गौरवशाली,
मैं प्रतिनिधि हूं जनमत का, चाहूं हरियाली-खुशहाली.
जो भटके हुए हैं राहों से, जो अटके हुए अफवाहों से,
जो लटके हैं अंधविश्वासों से, पथ पाएं मेरे प्रयासों से.
सौंपो तो जरा जिम्मेदारी, करके देखो विश्वास मेरा,
मैं भी विकास का अधिकारी, मुझमें उजास का है डेरा.
लीला तिवानी
नई दिल्ली