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मैं भारत हूँ- समीक्षा ( नंदलाल मणि त्रिपाठी)

मैं भारत हूँ-( काव्य संग्रह) श्री भीम प्रसाद प्रजापति  #मैं भारत हूँ# - पुस्तक का शीर्षक ही स्प्ष्ट करता है कि काव्य संग्रह के अंतर्गत  स…

समीक्षा - विपश्यना उपन्यास (नंदलाल मणि त्रिपाठी)

समीक्षा--- विपश्यना (उपन्यास) लेखिका-- इंदिरा दांगी विपश्यना उपन्यास विदुषी इन्दिरा दांगी जी द्वारा जीवन की अनुभूतियों अनुभव को समेटे काल कलेवर के …

Suvasit e-Patrika (March-April-2024)

नमस्कार , आप सभी का साहित्य वसुधा के पटल पर स्वागत है । आप सभी पत्रिका को पढ़कर प्रतिक्रिया अवश्य भेजें । आप सभी को 20 सेकंड इंतजार करना होगा तभी प…

उदीप्ति ई-पत्रिका मई 2024 (अंक 4)

नमस्कार , आप सभी का साहित्य वसुधा के पटल पर स्वागत है । आप सभी पत्रिका को पढ़कर प्रतिक्रिया अवश्य भेजें । आप सभी को 20 सेकंड इंतजार करना होगा तभी पत…

एहसास रिश्तों का - नंदलाल मणि त्रिपाठी

आप नंदलाल मणि त्रिपाठी जी द्वारा रचित सम्पूर्ण पुस्तक को वेबसाइट पर ही पढ़ सकते हैं बस नीचे दिए गए पुस्तक को ऊपर स्लाइड करना है। सभी पृष्ट क्रमागत …

स्वर साधना - नंदलाल मणि त्रिपाठी

आप नंदलाल मणि त्रिपाठी जी द्वारा रचित सम्पूर्ण पुस्तक को वेबसाइट पर ही पढ़ सकते हैं बस नीचे दिए गए पुस्तक को ऊपर स्लाइड करना है। सभी पृष्ट क्रमागत …

अरमानों का आकाश - नंदलाल मणि त्रिपाठी

आप नंदलाल मणि त्रिपाठी जी द्वारा रचित सम्पूर्ण पुस्तक को वेबसाइट पर ही पढ़ सकते हैं बस नीचे दिए गए पुस्तक को ऊपर स्लाइड करना है। सभी पृष्ट क्रमागत र…

सुवासित पत्रिका जनवरी-फरवरी 2024

नमस्कार , आप सभी का साहित्य वसुधा के पटल पर स्वागत है । आप सभी पत्रिका को पढ़कर प्रतिक्रिया अवश्य भेजें । आप सभी को 20 सेकंड इंतजार करना होगा तभी पत…

सृजन से समायोजन तक सिर्फ नारी -अनामिका अमिताभ गौरव

सृजन से समायोजन तक सिर्फ नारी

हर पक्ष तेरा ही भारी - अनामिका अमिताभ गौरव

हर पक्ष तेरा ही भारी भले ही ना हो तन की शक्ति  पर जरूरत पड़े तो बन जाए चंडी   ना हो उनके पास बल पर जरूरत पड़े तो  लक्ष्मी बाई बन कर दे  सबको विफल  भल…

देता हूं शुभकामना- सूर्य कुमार अर्कवंशी

देता हूं शुभकामना देता हूं शुभकामना, मंगलमय नववर्ष की। खुशियों के शैलाब की, अमन चैन और हर्ष की।। नाइंसाफी का मान घटाएं,  न्यायी…

बंद कर दिया है मैंने -अनामिका अमिताभ गौरव

!!बंद कर दिया है मैंने!! अब बंद कर दिया है मैंने  खुद को परेशान करना!!  नहीं कहना उनसे कुछ  जो हर बात पर मुझे सुनाते रहते  अब बंद कर दिया…

क्या है कविता- डॉ .दक्षा जोशी "निर्झरा"

“ क्या है कविता “ कविता, कवि की है आत्मजा या सूर्य-रश्मि की सविता है, गंगोत्री के पावन कण जैसी शब्दों की बहती सरिता है... 'कविता"…

नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं-नवनीत पाण्डेय

"नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं" आर्यावर्त के पुत्र हैं विक्रम संवत भूल ना पाएंगे अंग्रेजी कैलेंडर से क्यूं हम नया साल मनाएंगे बूढ़े …

मुसाफ़िर है हम तो - डॉ.दक्षा जोशी " निर्झरा"

" मुसाफ़िर है हम तो" हम कैसे मुसाफि़र थे  सफ़र ढूंढते रहे। रातों में ज़िंदगी के सहर ढूंढते रहे। हम ख़ुद के वास्ते ही कहर घूमते …

जी हाँ! प्रकृति प्रेमी हूं मैं- पी० एल० सेमवाल

*जी हां प्रकृति प्रेमी हूं मैं* जी हां प्रकृति  प्रेमी हूं मैं  सच में इसका ऋणी हूं मैं  शहर की भीड़भाड़ से दूर जहां प्रकृति हो भरपूर जहा…

एक मुट्ठी आसमान - डॉ दक्षा जोशी

“ एक मुट्ठी आसमान “ चाहती हूँ एक मुट्ठी आसमान। सुनता है तू आसमान? तेरी ऊँचाई छूना चाहती हूँ- अपनी साधना को साधकर , अपनी भावना को माँजकर ,…

सरकार वही बनाता है-आदित्य कुमार श्रीवास्तव

सरकार वही बनाता है  जलवा छा रहा है मेरा , पीछा करके देखो । गुजरात से निकाला , काशी नगरी को चमकाया । स्वच्छ किया गंगा को , मन्दिरों को महक…

प्रेम समर्पण कर लो- ऋतु अग्रवाल

गीतिका                                प्रेम समर्पण कर लो मापनी 1222 1222 1222 1222 झुकाकर झील सी आँखें समर्पण प्रेम में कर लो। अगन जलती ह…

बंद कर दिया है मैंने- अनामिका अमिताभ गौरव

!!बंद कर दिया है मैंने!! अब बंद कर दिया है मैंने  खुद को परेशान करना!!  नहीं कहना उनसे कुछ  जो हर बात पर मुझे सुनाते रहते  अब बंद कर दिया…

शत् शत् नमन- पी० एल० सेमवाल

शत् शत् नमन शत् शत् नमन  उन  वीरों को जिनको हम हैं आज भूल गए  जो थे आजादी की खातिर  फांसी पर खुशी से  झूल गये। बिस्मिल-अश्फाक-लाहिड़ी-आजा…

महापण्डित राहुल सांकृत्यायन जी काव्य परिचय

महापण्डित राहुल सांकृत्यायन जी काव्य परिचय कुलवंती देवी गोवर्धन, पाण्डेय जी के सुपुत्र थे आजमगढ़ जिला, भारत माता के भी पुत्र थे छत्तीस भा…

माँ - ऋतु अग्रवाल

धनुषाकार पिरामिड-                                    माँ  तू स्नेह प्रेम की  है मूरत  ममतामयी छाया आँचल की  देती है निस्वार्थ  हुलस रीझ म…

ख़्वाब - डॉ दक्षा जोशी

ग़ज़ल                  " ख़्वाब" अगर अच्छा कभी कि़रदार होता। ज़रूरत  क्या है क्यों श्रृंगार होता। ये  केवल सोच है ,…

परिवार - डॉ दक्षा जोशी निर्झरा

" परिवार" परिवार के अनमोल रिश्तों के,  आँगन में झूमे जैसे बहार का,  इन अनमोल रिश्तों को बाँधे,  बनके धागा हो प्रेम प्यार का।  ख…

त्यौहारों का देश भारत - पी० एल० सेमवाल

*त्यौहारों का देश भारत*  त्यौहारों  का देश हमारा  मिलकर त्यौहार मनाते हैं,  परम्पराओं का देश भारत आओ इसकी झलक दिखलाते हैं।। ईद, क्रिसमस, होली हो बैस…

हे लौह पुरुष बल्लभ - पी० एल० सेमवाल

हे लौह पुरुष बल्लभ हे लौह पुरुष! बल्लभ तुम  भारत मां के सच्चे बेटे थे। आजाद हुआ था देश जब खंड-खंड में राज्य बिखरे थे  विलय कर ५६२ रियासतो…

बंद आँखों का मंजर- डॉ दक्षा जोशी

ग़ज़ल                      " बंद आंखों का मंज़र" इक परिंदा अभी उड़ान में है तीर हर शख़्स की कमान में है! जिस को देखो वही है चु…

Suvasit Patrika September-November 2023.pdf

नमस्कार , आप सभी का साहित्य वसुधा के पटल पर स्वागत है । आप सभी पत्रिका को पढ़कर प्रतिक्रिया अवश्य भेजें । आप सभी को 20 सेकंड इंतजार करना होगा तभी पत…

कालजयी कृति

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