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परिवार - डॉ दक्षा जोशी निर्झरा

" परिवार"

परिवार के अनमोल रिश्तों के, 
आँगन में झूमे जैसे बहार का, 
इन अनमोल रिश्तों को बाँधे, 
बनके धागा हो प्रेम प्यार का। 

ख़ुशियों  के सारे पत्ते निकले, 
दुःख ना हो जिसमें हार का। 
सुख - दुःख चाहे कितने आये, 
साथ हो अपने परिवार का। 

नयी दिशाएँ बाँह फैलाए, 
स्वागत करती बहार का। 
अंधकार को हम मिटा कर, 
फूल बने उजियार का। 

नफ़रतों को क्यों हम बाँटे, 
नस्लें बोयें प्यार की, 
कुछ अपनों के विश्वास की, 
कुछ सपनों के संसार की। 

जलते थारों के बीच में, 
वृक्ष बने हम छाँव का। 
आओ पौधा एक लगाएँ, 
कुछ अपनो के प्यार का। 

-डॉ दक्षा जोशी 
अहमदाबाद 
गुजरात ।

1 comment

  1. Deepak Poojara Retired Inspector of Rajkot Municipal Corporation Rajkot
    परिवार,,,,,
    नहीं मील सकती सिर्फ साथ रहने से
    दुनिया की सब से बड़ी खुशी,,,
    देखते है हम साथ रहने वालो को भी
    दुखी,,,,,,
    एक छत के नीचे रहते हुवे को नही
    कह सकते हम परिवार,,,,
    पूछे जाए जहा एक दूजे के हालात ,,,,,
    होती हो जहा एक दूजे के साथ सुख
    दुख की बात,,,
    करते हो जहा एक दूजे लोग साथी
    की दरकार,,,
    ऐसी जहा होती है एक दूजे की परवाह,
    न होते हुवे साथ, चाहे हो अपने लोग
    दूर सात समंदर पार ,,,
    फिर भी इसे कह सकते है हम एक
    सच्चा परिवार,,,
    जहा न हो सिर्फ खून का रिश्ता, और हो
    एक दूजे के साथ इंसानियत का भी ऐक
    सब से बड़ा रिश्ता,,
    तो बन जता है ये पूरा जगत भी एक
    सुंदर परिवार,,,,
    " दीपक "
    💓🦚🎺🎻💐🌹💖💏🎸
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